नेपाल की राजनीति में एक नया मोड़ आता दिख रहा है. हिंसा और सत्ता संकट के बीच अब देश की कमान कौन संभालेगा, इसे लेकर Gen-Z आंदोलनकारियों ने वर्चुअल बैठक बुलाई. इस ऑनलाइन सभा में 5,000 से ज्यादा युवाओं ने हिस्सा लिया और सबसे ज़्यादा समर्थन पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को मिला। वे नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। ओली ने सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ भड़की हिंसक जनआंदोलन के दबाव में इस्तीफा दिया। आंदोलन के बाद सेना ने देश की कमान संभाल ली है। दावा किया जा रहा है मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की अंतरिम प्रधानमंत्री बन सकती हैं। बैठक में कुलमान घिसिंग, बालेन शाह, रबि लामिछाने, हर्का संपंग और राष्ट्रबिमोचन तिमालसिना (रैंडम नेपाली) जैसे नामों पर भी चर्चा हुई।
फिलहाल नेपाल में प्रदर्शनों के सूत्रधार और आगे की सियासत का रास्ता तय करने वालों में चार नामों की चर्चा सबसे ज्यादा है। इनमें से दो नाम- सुदन गुरुंग और बालेन शाह के हैं, जिन्हें ‘जेन जी’ के प्रदर्शनों का सूत्रधार माना जा रहा है। इसके अलावा तीसरा नाम है रबि लमिछाने और चौथा नाम सुशीला कार्की का है।
नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद देश गंभीर राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ भड़के हिंसक जनआंदोलन के चलते ओली को पद छोड़ना पड़ा। अब अंतरिम सरकार के नेतृत्व के लिए देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकीं सुशीला कार्की का नाम सबसे आगे है।
जेन-जेड आंदोलन की वर्चुअल बैठक में पांच हजार से ज्यादा लोगों ने सुशीला कार्की का समर्थन किया, जिसके बाद उन्हें कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव मजबूत हुआ। उन्होंने पहले ही इसके लिए 1,000 लिखित समर्थन मांगे थे, लेकिन उन्हें 2,500 से ज्यादा हस्ताक्षर मिल गए। कार्की एक सख्त और ईमानदार छवि वाली नेता मानी जाती हैं, जिन्होंने अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले दिए।
इस राजनीतिक संकट के बीच नेपाल में हालात काफी तनावपूर्ण हैं। देश की कमान अब सेना के हाथ में है। आंदोलनकारियों और सेना के बीच अंतरिम सरकार के गठन को लेकर बातचीत जारी है। काठमांडू के मेयर बालेन शाह, कुलमैन घिसिंग, हरका संपंग, और यूट्यूबर ‘रैंडम नेपाली’ (राष्ट्रबिमोचन तिमालसिना) जैसे नाम भी चर्चा में हैं, लेकिन सबसे ज्यादा समर्थन फिलहाल कार्की को मिला है।
इस बीच देश में हिंसा की कई गंभीर घटनाएं सामने आई हैं। ओली के घर में आग लगा दी गई और उन्हें हेलिकॉप्टर से सुरक्षित स्थान पर भेजा गया। आंदोलनकारियों ने तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों शेर बहादुर देउबा, झालानाथ खनाल और पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’के घरों में आगजनी की।
खनाल की पत्नी राजलक्ष्मी गंभीर रूप से झुलस गईं और बाद में उनकी मौत हो गई। देउबा को उनके घर में पीटा गया और वित्त मंत्री विष्णु पौडेल को काठमांडू में दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया।सूत्रों के हवाले से बताया कि देशभर की जेलों से 11,000 से अधिक कैदी फरार हो गए हैं।