अफगानिस्तान की एंबेसी बंद होने की क्या है असली कहानी
भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुन्दजई ने पिछले हफ्ते नई दिल्ली में स्थित अफगान एंबेसी को स्थायी रूप से बंद करने का एलान किया था। उन्होंने इसके लिए भारत के सहायता में कोई समस्या नहीं होने का दावा किया था, लेकिन अब सच्चाई सामने आ रही है। अफगानिस्तान एंबेसी को बंद करने के पीछे दूतावास की आंतरिक कलह और यहां तैनात 20 से अधिक राजनयिकों ने पश्चिमी देशों में शरण लेने की वजह बताई गई है।
अफगान एंबेसडर फरीद मामुन्दजई ने भारत सरकार से दूतावास को स्थायी रूप से बंद करने की घोषणा की, और इसके साथ ही एंबेसी परिसर में अफगानिस्तान के झंडे को फहराने की अनुमति का अनुरोध किया। मामुन्दजई ने जारी बयान में कहा कि भारत सरकार की ओर से आने वाली चुनौतियों और असहयोग के कारण, 23 नवंबर से दूतावास को स्थायी रूप से बंद कर दिया जाएगा।
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अब हुआ सच्चाई का पर्दाफाश
‘इकोनॉमिक टाइम्स’ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि तालिबान ने जब से अफगानिस्तान में गनी सरकार को हटाया है, उसके बाद से नई दिल्ली में स्थित अफगान दूतावास के 28 राजनयिक पश्चिमी देशों में शरण लेने आए हैं। खुद अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुन्दजई अपने परिवार के साथ लंदन में रह रहे हैं।
एंबेसडर का नाम
ET ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि दिल्ली स्थित अफगान एंबेसी के डिप्लोमेट्स ने जब पश्चिमी देशों में शरण मांगने के लिए बातचीत शुरू की, तब उन्होंने भारत सरकार से भी संपर्क किया था. लेकिन भारत ने दो-टूक कह दिया था कि वह इस तरह के किसी कदम का समर्थन नहीं करता है. अखबार ने दावा किया है कि मामुन्दजई और दूसरे डिप्लोमेट्स कथित भ्रष्टाचार में शामिल थे. बाद में भारत पर दोष मढ़ने की कोशिश की.
कहानी में एक और ट्विस्ट
इसी बीच खबर है कि फरीद मामुन्दजई के लंदन जाने के बाद मुंबई में तैनात अफगानिस्तान के महावाणिज्य दूत जाकिया वरदाक ने कहा है कि अफगान एंबेसी बंद नहीं होगी. वरदाक ने एक बयान में कहा कि ‘हमने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों और नई दिल्ली स्थित दूतावास के कर्मचारियों से बातचीत की है और कहा है कि दूतावास पहले की तरह काम करता रहेगा…

source by news18