संशोधित अधिनियम में कोई व्यक्ति धमकी देता है, हमला करता है, शादी करता है या शादी करने का वादा करता है या इसके लिए साजिश रचता है, या जबर्दस्ती कराये गये धर्मांतरण के मामलों में 20 वर्ष कारावास या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है. जब यह विधेयक के रूप में पहली बार पारित करने के बाद कानून बना तब इसके तहत अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया था.
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उत्तर प्रदेश विधानसभा ने मंगलवार को यूपी गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित कर दिया, जिसमें अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है, जिससे धोखाधड़ी या जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में कानून को पहले से सख्त बनाते हुए अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है.
पहले किसी महिला को धोखा देकर उससे शादी करने और उसका धर्म परिवर्तन कराने के दोषी पाए जाने वालों के लिए अधिकतम सजा 10 साल और 50,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान था।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सोमवार को सदन में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया। इसमें प्रस्तावित किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति धमकी देता है, हमला करता है, शादी करता है या शादी करने का वादा करता है या इसके लिए साजिश रचता है, या धर्म परिवर्तन के इरादे से किसी महिला, नाबालिग या किसी की तस्करी करता है, तो उसके अपराध को सबसे गंभीर श्रेणी में रखा जाएगा।
ऐसे मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है. संशोधित प्रावधानों के तहत अब कोई भी व्यक्ति धर्म परिवर्तन के मामले में शिकायत दर्ज करा सकता है. पहले मामले की जानकारी या शिकायत देने के लिए पीड़िता, उसके माता-पिता या भाई-बहन की मौजूदगी जरूरी होती थी.
यह प्रस्तावित किया गया है कि ऐसे मामलों की सुनवाई सत्र न्यायालय से नीचे की किसी भी अदालत द्वारा नहीं की जाएगी और इसके साथ ही सरकारी वकील को मौका दिए बिना जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा. साथ ही संशोधित अधिनियम के तहत सभी अपराधों को गैर-जमानती बना दिया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कथित जबरन धर्म परिवर्तन के लिए कुछ हिंदू संगठनों द्वारा गढ़े गए शब्द ‘लव जिहाद’ पर अंकुश लगाने के इरादे से यह पहल की थी। नवंबर 2020 में जबरन धर्म परिवर्तन पर अंकुश लगाने के लिए एक अध्यादेश जारी किया गया था और बाद में, उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा विधेयक पारित होने के बाद, उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम -2021 लागू हो गया।
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