रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार डीपीआरओ किरन चौधरी को मंगलवार को बड़ी राहत मिली, जब उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल गई और जेल से रिहा कर दिया गया। किरन चौधरी 5 फरवरी से मेरठ की जिला जेल में न्यायिक अभिरक्षा में थीं। पहले निचली अदालत ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी, लेकिन अब बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी मंजूर कर ली।
किरन चौधरी के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में दलील दी कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया है। अधिवक्ता का कहना था कि शिकायतकर्ता के खिलाफ सरकारी धन के गबन की कई शिकायतें मिल चुकी थीं, जिनकी जांच चल रही थी।
डीपीआरओ ने इन मामलों की जांच पूरी कराने के लिए पत्र भेजे थे, जिसके बाद शिकायतकर्ता ने षड्यंत्र करके उन्हें फंसा दिया। इसके अलावा, आरोपों के बावजूद रिश्वत की रकम लेने का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला।
को-आरोपी बिजेंद्र सिंह को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया था। इसी आधार पर किरन चौधरी के खिलाफ आरोप लगाए गए थे। उनके अधिवक्ता ने यह भी तर्क पेश किया कि किरन चौधरी गर्भवती हैं, जो उनकी जमानत के पक्ष में एक महत्वपूर्ण कारण था। इन सभी दलीलों को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी। मंगलवार को डीपीआरओ किरन चौधरी को जेल से रिहा कर दिया गया।