नोएडा में छठ महापर्व का आयोजन बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से किया जा रहा है और घाटों पर इसका खास असर देखने को मिला। छठ पर्व का महत्व सूर्यदेव की पूजा और उनकी कृपा की प्राप्ति के लिए होता है। इस पर्व में व्रती महिलाएं और श्रद्धालु सूर्यास्त के समय अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं, साथ ही उगते सूर्य को भी अर्घ्य देकर अपनी पूजा समाप्त करते हैं।
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यह पर्व 36 घंटे के कठिन निर्जला उपवास और विशेष पूजा-पाठ के साथ मनाया जाता है, जिसमें व्रती सूर्यदेव से स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की कामना करते हैं। शुक्रवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही व्रतियों का कठोर उपवास समाप्त हो जाएगा। और इस समय का नजारा बहुत ही भव्य और धार्मिक रूप से प्रेरणादायक होता है।
व्रती महिलाओं द्वारा अर्पित किया गया अर्घ्य
नोएडा के सेक्टर-34 स्थित बी-3 अरावली अपार्टमेंट और सेंट्रल पार्क में छठ महापर्व का तीसरा दिन बहुत ही श्रद्धा और धूमधाम से मनाया गया। इस दिन व्रती महिलाएं सायंकाल को सेंट्रल पार्क में स्थित घाट पर पहुंची और वहां डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। छठ महापर्व की इस पवित्र पूजा के दौरान, सेंट्रल पार्क का माहौल भक्तिपूर्ण गीतों से गूंज उठा, जैसे कि “सैनुरा सलामत रखिहो ए छठी मइया, हर साल करब हम तुहरी वरतिया”।
ये गीत श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक बन गए, और व्रती महिलाएं पूरे परिवार के साथ इस पूजा में शामिल हुईं।सिर्फ सेंट्रल पार्क ही नहीं, नोएडा के अन्य स्थानों जैसे सेक्टर-38, कालिंदी कुंज और नोएडा स्टेडियम में भी व्रति महिलाओं ने सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित किया।
रविवार से ही ठेकुआ बनाने में लगी रहीं महिलाएं
आरडब्ल्यूए अध्यक्ष धर्मेंद्र शर्मा के अनुसार, छठ महापर्व की तैयारियां रविवार से ही शुरू हो गई थीं, जब व्रती महिलाएं ठेकुआ (पकवान) बनाने में जुट गई थीं। यह पर्व श्रद्धा और मेहनत से जुड़ा हुआ है, और व्रती महिलाएं इस दिन के लिए अपनी पूरी तैयारी करती हैं। शाम को जब पूजा का समय आया, तो वे बांस की सुपेली, डलिया, सूप में फल, पकवान, कच्ची हल्दी, अदरक, पान का पत्ता, दीपक, गन्ना और रंगीन कपड़े जैसी पूजन सामग्री लेकर घाट पहुंचीं।
व्रती महिलाओं ने सबसे पहले गंगा मइया और भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया, और फिर कमर तक पानी में खड़े होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। यह दृश्य बहुत ही भावनात्मक और भक्तिपूर्ण था। आरडब्ल्यूए अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे, और साथ ही क्षेत्र के कई निवासी भी इस पूजा के गवाह बने।
यह पूरी प्रक्रिया न केवल धार्मिक होती है, बल्कि सामूहिकता और एकजुटता का प्रतीक भी है, जिसमें सभी लोग एक साथ मिलकर इस महापर्व की महिमा का अनुभव करते हैं।
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