गुरु पूर्णिमा, हिंदुओं, बौद्धों और जैनियों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है. इस साल गुरु पूर्णिमा का यह पावन पर्व 21 जुलाई यानी आज मनाया जा रहा है. आषाढ़ पूर्णिमा के दिन स्नान-दान बहुत ही शुभ माना जाता है. यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ (जून-जुलाई) के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसे व्यास पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह ऋषि वेद व्यास के जन्मदिन का प्रतीक है, जिन्होंने महाभारत की रचना की और वेदों को संकलित किया। गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु की विशेष पूजा करते हैं. गुरु पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है.
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हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। गुरु पूर्णिमा का यह पावन पर्व को आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा और वेद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा के इस पावन पर्व को लोग बेहद उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। इस दिन चंद्र देव अपने पूर्ण आकार में होते हैं। इस शुभ तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है

गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व क्यों और किस उपलक्ष्य में मनाया जाता है
सनातन संस्कृति में आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। हमारे धर्म ग्रंथों में गुरु मे गु का अर्थ अन्धकार या अज्ञान और रू का अर्थ प्रकाश (अन्धकार का निरोधक) । अर्थात् अज्ञान को हटा कर प्रकाश (ज्ञान) की ओर ले जाने वाले को गुरु कहा जाता हैं। गुरू की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार होता है गुरू की कृपा के बिना कुछ भी सम्भव नहीं है. इसको भारत, नेपाल और भूटान में हिन्दू, जैन और बोद्ध धर्म के अनुयायी उत्सव के रूप में मनाते हैं। यह पर्व हिन्दू, बौद्ध और जैन अपने आध्यात्मिक शिक्षकों / अधिनायकों के सम्मान और उन्हें अपनी कृतज्ञता दिखाने के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दू पंचांग के हिन्दू माह आषाढ़ की पूर्णिमा (जून-जुलाई) मनाया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि व्यास पूर्णिमा वेदव्यास के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
दान देने का शुभ मुहूर्त
उदयातिथि के अनुसार, गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई यानी आज ही मनाई जा रही है. पूर्णिमा के दिन स्नान हमेशा ब्रह्म मुहूर्त में ही किया जाता है. स्नान दान का समय आज सुबह 4 बजकर 13 मिनट पर शुरू हो चुका है और सुबह 4 बजकर 50 मिनट तक रहेगा. पूजन का अगला मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से दोपहर 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा. साथ ही संध्या पूजन का समय शाम 7 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 25 मिनट तक रहेगा.
जानिए गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त कब से कब तक है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई दिन शनिवार को शाम 05 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि की समाप्ति अगले दिन 21 जुलाई, 2024 दिन रविवार को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर होगी। अगर पूजा मुहूर्त की बात की जाए तो 21 जुलाई के दिन प्रातःकाल 5 बजकर 46 मिनट के बाद से दोपहर 3 बजकर 46 मिनट तक पूजा कर सकते हैं।
गुरु पूर्णिमा पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कार्यों से मुक्त होकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थान को साफ करें। इस दिन भगवान वेद व्यास और अपने गुरु की मूर्ति स्थापित करके इनकी विधि विधान से पूजा करनी चाहिए और दीप प्रज्ज्वलित कर, धूप-बत्ती लगाएं फूल, फल और मिठाई अर्पित करें और गुरु मंत्रों का जाप करें। इन सब के बाद जरूरतमंद को दान करना न भूलें।
जानिए गुरु का अर्थ- शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है।अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को ‘गुरु’ कहा जाता है।
- “अज्ञान तिमिरांधस्य ज्ञानांजन शलाकया, चकच्छू: मिलिटम येन तस्मै श्री गुरुवै नमः “
गुरु तथा दे बल्कि सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है। गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है
भगवान विष्णु के मंत्र
1. ॐ नमोः नारायणाय।।
2. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय।।
3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।।
4. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्।।
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