Mpox Alert: मंकीपॉक्स का पहला केस एशिया तक पहुंचा, इन मुल्कों में तेजी से पैर पसार रहा मंकीपॉक्स; भारत के लिए कितना बड़ा खतरा।

मंकीपॉक्स का पहला केस एशिया तक पहुंचा

WHO ने मंकीपॉक्स को सबसे खतरनाक बीमारियों की लिस्ट में शामिल किया है, यह वायरस 17 देशों में पैर पसार चुका है. ये घातक वेरिएंट खास तौर पर कम उम्र के बच्चों और युवाओं को अपनी चपेट में ले रहा है. एमपॉक्स का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। अफ्रीका के बाद मंकीपॉक्स अब एशिया तक भी आ पहुंचा है। गुरुवार को थाइलैंड ने इसके क्लैड 1बी स्ट्रेन के मामले की पुष्टि की है।

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हाल ही में दुनिया के अलग-अलग देशों में मिले मंकीपॉक्स के मामलों ने कई देशों की सरकारों और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की चिंता बढ़ा दी है. WHO मंकीपॉक्स के खतरों को देखते हुए ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी भी घोषित कर चुका है. थाईलैंड में एमपॉक्स का मामला क्लैड 1बी स्ट्रेन था। उसने गुरुवार को इसकी पुष्टि की। इसके बाद अफ्रीका के बाहर खतरनाक वेरिएंट पाए जाने का यह दूसरा मामला है। जो एक मरीज था और पिछले सप्ताह एक अफ्रीकी देश से आया था।

अफ्रीका में मंकीपॉक्स पूरी तरह से पैर पसार चुका है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक थाईलैंड रोग नियंत्रण विभाग के महानिदेशक थोंगचाई कीरातिहट्टायाकोर्न ने कहा, ‘परीक्षण के नतीजे पुष्टि करते हैं कि वह मंकीपॉक्स के क्लैड 1बी स्ट्रेन से संक्रमित है

अफ्रीका में एमपॉक्स के मामले और मौतें लगातार बढ़ रही हैं, जहां जुलाई से कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, बुरुंडी, केन्या, रवांडा और युगांडा से इसके मामले सामने आए हैं. वहीं, (21 अगस्त) को कॉन्गो में मंकीपॉक्स के 1000 मामले सामने आए थे. ये रोग जो संक्रमित जानवरों के वायरस के कारण होता है. इस बीमारी में मरीज को बुखार, मांसपेशियों में दर्द और त्वचा पर बड़े फोड़े जैसे घाव होने लगते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, बच्चों को इसका खतरा ज्यादा होता है.

WHO ने स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था 

इस मामले में मलेशिया की मोनाश यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विनोद आरएमटी बालसुब्रमण्यम का कहना है कि कभी माना जाता था कि मंकीपॉक्स की बीमारी मुख्य रूप से अफ्रीका तक ही सीमित है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में स्वीडन, पाकिस्तान और फिलीपीन में भी मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं. नए वैरिएंट की पहचान होने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बीमारी के हालिया प्रकोप को अंतरराष्ट्रीय चिंता का कारण बताते हुए इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था। थाईलैंड ने बुधवार को कहा कि उस व्यक्ति ने एमपॉक्स होने की पुष्टि की है.

जानिए क्या है मंकीपॉक्स?

मंकीपॉक्स के शिकार जानवर या व्यक्ति के शरीर से निकले संक्रमित फ्लूइड के संपर्क में आने से यह बीमारी एक दूसरे में फैलती है. सरल शब्दों में कहा जाए तो मंकीपॉक्स छुआछूत की बीमारी है. मंकीपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति के आसपास रखी चीजों को छूने या फिर उसके संपर्क में आने से यह बीमारी दूसरे व्यक्ति को हो जाती है. इस बीमारी में बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण दिखे थे.

जानिए एमपॉक्स के लक्षण और बचाव के उपाय?

मंकीपॉक्स के लक्षण 6 से 13 दिन या फिर कई बार 5 से 21 दिन में दिखने लगते हैं. मंकीपॉक्स से संक्रमित होने पांच दिन के बाद व्यक्ति को बुखार, तेज सिरदर्द और शरीर पर सूजन आने लगती है. इतना ही नहीं मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है.

पूरे शरीर में दाने निकल आते हैं. खासतौर पर हाथ-पैर, हथेली, पैर के तलवे और चेहरे पर छोट-छोटे दाने निकल आते हैं. अगर, मंकीपॉक्स से बचना है तो सबसे पहले बंदरों और अन्य जानवरों के संपर्क में न आएं . इसके अलावा अपने घर की सफाई करें. अगर आपको अपने आसपास किसी भी व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखते हैं तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.

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