इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को शाही जामा मस्जिद, संभल से जुड़े मामले में मस्जिद प्रबंधन समिति की सिविल रिवीजन याचिका खारिज कर दी। इससे मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण का रास्ता साफ हो गया है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलीलें अस्वीकार करते हुए साफ किया कि सर्वे संबंधी कार्यवाही अब संभल की जिला अदालत में जारी रहेगी। मस्जिद कमेटी ने 19 नवंबर 2024 को सिविल कोर्ट द्वारा दिए गए सर्वे आदेश को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिली थी और हाईकोर्ट जाने को कहा गया था। अब हाईकोर्ट के फैसले से स्पष्ट हो गया है कि सर्वे वहीँ जारी रहेगा। मामले में अगली कार्यवाही जिला अदालत संभल में होगी।
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संभल की शाही जामा मस्जिद से जुड़े विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने मस्जिद प्रबंधन समिति की सिविल पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी, जिससे सर्वेक्षण प्रक्रिया का रास्ता साफ हो गया है।
यह मामला 19 नवंबर 2024 को उस समय शुरू हुआ था जब कुछ याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि मस्जिद का निर्माण 1526 में एक प्राचीन हरिहर मंदिर को तोड़कर किया गया था। इस पर सिविल कोर्ट ने सर्वेक्षण का आदेश दिया था। मुस्लिम पक्ष ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट और फिर हाईकोर्ट का रुख किया था।
हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने मुस्लिम पक्ष की दलीलें अस्वीकार करते हुए फैसला दिया कि संभल जिला अदालत में सर्वे की कार्यवाही वैध है और आगे जारी रहेगी। इससे पहले कोर्ट ने 13 मई को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं का कहना है कि सर्वे दो चरणों में पूरा हुआ है और कोर्ट के फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि मामला संभल में ही चलेगा। मस्जिद कमेटी की दलील थी कि बिना सुने एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति नहीं की जा सकती थी, लेकिन हाईकोर्ट ने यह तर्क खारिज कर दिया।
गौरतलब है कि पिछले साल 24 नवंबर को मस्जिद के सर्वे के दौरान हुए बवाल में पांच लोगों की मौत और पुलिसकर्मी घायल हुए थे। मामले की जांच एसआईटी कर रही है और क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं। अब हाईकोर्ट के फैसले के बाद सर्वे की प्रक्रिया दोबारा शुरू होने का रास्ता खुल गया है।