दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेडकर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने धोखाधड़ी करते हुए ओबीसी और दिव्यांगता कोटा का अनुचित लाभ लिया। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पूजा ने साजिश रचकर देश की छवि को नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा, यूपीएससी ने भी उन्हें सिविल सेवा परीक्षा-2022 के नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया है।
यह भी पढ़ें: पंजाब-UP पुलिस ने पीलीभीत में खालिस्तानी आतंकियों को किया ढेर, भारी मात्रा में हथियार बरामद।
धोखाधड़ी और ओबीसी तथा दिव्यांगता कोटा का गलत तरीके से लाभ उठाने के आरोप में पूर्व आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह की पीठ ने इस दौरान कहा कि पूजा खेडकर ने साजिश रचकर देश की छवि को नुकसान पहुंचाया है।
अदालत ने पूर्व में पूजा खेडकर को दी गई गिरफ्तारी पर अंतरिम सुरक्षा भी हटा दी है। अगस्त में उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा मिली थी। 31 जुलाई को यूपीएससी ने खेडकर की उम्मीदवारी रद्द करते हुए उन्हें आयोग की सभी भविष्य की परीक्षाओं और चयन प्रक्रिया से स्थायी रूप से बाहर कर दिया । यूपीएससी ने पूजा खेडकर को सिविल सेवा परीक्षा-2022 के नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया था।
ट्रायल कोर्ट ने पूजा खेडकर की जमानत याचिका की खारिज
इससे पहले, ट्रायल कोर्ट ने यह कहते हुए पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया. जिसके बाद जांच एजेंसी को मामले की जांच का दायरा बढ़ाने और पूरी निष्पक्षता से जांच करने का निर्देश दिया गया है। ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को खेडकर ने चुनौती दी है।
हाईकोर्ट ने उठाया अधिकारियों के साथ मिलीभगत का सवाल
कोर्ट ने कहा कि यह बहुत संभावना है कि पूजा के परिवार ने नकली दस्तावेज प्राप्त करने के लिए अधिकारियों के साथ मिलीभगत की हो। पूजा द्वारा जांच में हस्तक्षेप करने की क्षमता का जिक्र करते हुए कोर्ट ने यह भी कहा कि याची यूपीएससी को धोखा देने के लिए एक बड़ी साजिश का हिस्सा रही है।
जानिए पूरा मामला
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) 2023 बैच की प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने सिविल सर्विसेज परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए ओबीसी और दिव्यांग कोटा का गलत तरीके से फायदा उठाया। इस मामले में यूपीएससी ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी और जांच के बाद उनका चयन रद्द कर दिया। इसके अलावा, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है और भविष्य में किसी भी परीक्षा में भाग लेने से भी प्रतिबंधित कर दिया गया है।
यूपीएससी के एक बयान के अनुसार, खेडकर की गहन जांच से यह सामने आया कि उन्होंने अपनी पहचान छुपाने के लिए अपना नाम बदलकर परीक्षा के नियमों का उल्लंघन किया। बयान में कहा गया है कि खेडकर ने न केवल अपने माता-पिता के नाम, बल्कि अपनी तस्वीर, हस्ताक्षर, ईमेल पता, मोबाइल नंबर और पता भी बदल दिए थे।