बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर और मंदिर न्यास गठन के खिलाफ चल रहे विरोध ने मंगलवार को एक भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप ले लिया। स्थानीय गोस्वामी समाज, व्यापारी वर्ग, और आसपास के क्षेत्रों की महिलाओं ने मंदिर से पदयात्रा करते हुए बिहार घाट तक मार्च निकाला और मां यमुना के समक्ष शासन-प्रशासन को सद्बुद्धि देने की प्रार्थना की।महिलाओं ने घाट पर सामूहिक यमुना पूजन किया और 200 से अधिक साड़ियों से तैयार की गई विशाल चुनरी मां यमुना को अर्पित की। इस दौरान ‘बांके बिहारी हमारे हैं’ जैसे नारों के साथ महिलाएं शांतिपूर्ण विरोध करती रहीं।प्रदर्शन में शामिल महिलाओं का कहना था कि यह आंदोलन किसी संपत्ति या दान के विरोध में नहीं है, बल्कि यह बांके बिहारी जी की सेवा परंपरा, धार्मिक विरासत और मंदिर की मौलिक पहचान की रक्षा के लिए है।
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर और मंदिर न्यास के गठन को लेकर विरोध लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. एक महीने से जारी विरोध के क्रम में मंगलवार को स्थानीय गोस्वामी समुदाय, व्यापारी वर्ग और आम नागरिकों के परिवारों की सैकड़ों महिलाओं ने पैदल यात्रा कर बिहार घाट पहुंचकर मां यमुना से प्रार्थना की।
प्रदर्शनकारियों ने घाट पर यमुना पूजन कर 200 से अधिक साड़ियों से बनी चुनरी मां यमुना को अर्पित की और शासन-प्रशासन से इस परियोजना पर पुनर्विचार की अपील की। महिलाएं “बांके बिहारी हमारे हैं, और हम हैं बांके बिहारी के जैसे नारों के साथ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करती रहीं।
प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने साफ कहा कि यह विरोध दान या संपत्ति के लिए नहीं, बल्कि मंदिर की पारंपरिक सेवा, सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक भावनाओं की रक्षा के लिए है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि कॉरिडोर योजना से वृंदावन की पारंपरिक संरचना और धार्मिक मूल्यों को क्षति पहुंच सकती है।
महिलाओं ने आगे कहा कि बांके बिहारी जी गोस्वामी समाज की आस्था के केंद्र हैं, जिनका प्राकट्य स्वयं स्वामी हरिदास जी ने किया था।