मोदी सरकार 3.0 का शपथ ग्रहण समारोह संपन्न होने के एक दिन के बाद आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने मणिपुर को लेकर बड़ा बयान दिया है. और आरएसएस चीफ ने कहा कि एक वर्ष हो गया तब से मणिपुर शांति की राह देख रहा है. प्राथमिकता के आधार पर इस पर विचार करना होगा।
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आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) का सोमवार को ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय समापन समारोह’में आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा कि चुनाव के नतीजे आ गए हैं सरकार ने शपथ ले ली है. मोदी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में बड़े बड़े काम किए हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम चुनौतियों से मुक्त हो गए हैं.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सभी धर्मों को लेकर सोमवार (10 जून) को कहा कि सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए. सभी की पूजा का सम्मान ये मानकार करो कि हमारे जैसा उनका धर्म भी सच्चा है.
लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रया देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने चुनावी बयानबाजी से उबरने और मणिपुर संघर्ष को प्राथमिकता के आधार पर हल करने की आवश्यकता है।
आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) का सोमवार को ‘नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय समापन समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, “एक वर्ष से मणिपुर शांति का इंतजार कर रहा है। राज्य पिछले 10 वर्षों से शांतिपूर्ण रहा, लेकिन अचानक बंदूक संस्कृति फिर से बढ़ गई है। इसका समाधान करना महत्वपूर्ण है।”
आरएसएस प्रमुख ने कहा, “मणिपुर की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार करना होगा। चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर देश के सामने आने वाली समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।”
चुनाव नतीजों के बारे में बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा कि चुनाव के नतीजे आ गए हैं सरकार ने शपथ ले ली है. इसलिए क्या और कैसे हुआ, ये लोकतंत्र के नियम हैं, समाज ने अपना मत दे दिया है,इस पर अनावश्यक चर्चा से बचा जा सकता है।उन्होंने सरकार और विपक्ष के बीच आम सहमति की आवश्यकता पर भी जोर दिया ताकि जनता के लिए काम किया जा सके।
आरएसएस प्रमुख ने कहा, “चुनाव आम सहमति बनाने की एक प्रक्रिया है। संसद में दो पक्ष होते हैं ताकि किसी भी प्रश्न के दोनों पहलुओं को प्रस्तुत किया जा सके।”
उन्होंने कहा, “पूरी दुनिया में, समाज बदल गया है, जिसके परिणामस्वरूप प्रणालीगत बदलाव आया है। यही लोकतंत्र का सार है।”मोहन भागवत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे राजनीतिक दल और नेता एक-दूसरे को बुरा-भला कह रहे हैं और इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे हैं कि इससे समुदायों के बीच दरार पैदा हो सकती है। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि आरएसएस को भी इसमें घसीटा जा रहा है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा, ”चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह से लोग एक-दूसरे तंज कसते हैं, तकनीक का गलत उपयोग करते हैं और झूठीं खबरें फैलाते हैं, वह सही नहीं है।”
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